बूढ़े प्लांट नहीं बुझा पा रहे शहर की प्यास, 5 लाख से अधिक आबादी को गंदा पानी सप्लाई हो रहा
भोपाल। बड़े तालाब पर स्थापित ज्यादातर फिल्टर प्लांट उम्र पूरी कर चुके हैं और उन्हें जबरन काम में लगाया गया है। बरसों पुराने यह फिल्टर प्लांट अधिकतम 60 फीसदी क्षमता पर काम कर रहे हैं। यही नहीं, इन फिल्टर प्लांट में पानी के फिल्टरेशन के लिए अपनाई जा रही प्रक्रिया भोपाल जैसे बड़े शहर के लिए मुफीद नहीं है। जरूरत इस बात की है कि श्यामला हिल्स, पुलपुख्ता, बादल महल और अरेरा हिल्स के साथ रेलवे के फिल्टर प्लांट को तो चरणबद्ध तरीके से बंद किया जाए और ईदगाह व बैरागढ़ के पुराने प्लांट रिनोवेट किए जाएं। कुल मिलाकर शहर की 5 लाख से अधिक आबादी को गंदा या मटमैला पानी सप्लाई हो रहा है। प्रोजेक्ट अमृत के तहत बड़े तालाब पर 6 करोड़ 75 लाख लीटर क्षमता के नए फिल्टर प्लांट के निर्माण की अनुमति ही इस आधार पर मिली थी कि पुराने प्लांट बंद किए जाएंगे। भौंरी में तीन एमजीडी क्षमता का नया प्लांट चालू हो गया। मनुआभान की टेकरी पर 12 एमजीडी क्षमता के नए प्लांट का काम तेजी से चल रहा है। गौरतलब है कि सन 1888 में बड़े तालाब से पानी सप्लाई शुरू करने के लिए पुल पुख्ता पर पम्प हाउस बनाया गया था। तब यह पानी इतना साफ था कि बिना फिल्टरेशन के सप्लाई किया जा सकता था।
श्यामला हिल्स सहित सभी प्लांट की नियमित सफाई नहीं हो रही है। इसके अलावा एलम, क्लोरीन, ब्लीचिंग पावडर आदि भी नियमित रूप से नहीं मिल रहे हैं। इसके अलावा सभी प्लांट पर दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी पदस्थ हैं।