प्रदेश कांग्रेस से नहीं संभाल रहे उपचुनाव

भोपाल। विशेष प्रतिनिधि
अभी तक के ज्ञात इतिहास के आधार पर उपचुनाव में प्रदेश के स्टार प्रचारक ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा नहीं है कि अन्य प्रमुख नेताओं के आने पर कोई पाबंदी है फिर भी जहां तक प्रदेश का संगठन और नेतृत्व उपचुनाव संभाल सकते हैं तब तक बाहर के किसी व्यक्ति को नहीं बुलाया जाता। अब लगता है मध्य प्रदेश कांग्रेस और कमलनाथ प्रदेश के 28 उपचुनाव को अपने दम पर संभाल पाने की स्थिति में नहीं है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ग्वालियर चंबल अंचल में प्रचार के लिए उतारा गया है। यह भी खबर है कि राजस्थान में कभी बागी रहे सचिन पायलट क्षेत्र के गुर्जर मतदाताओं को लुभाने के लिए आ सकते हैं। यहां सबसे खास बात यह है कि कांग्रेस के निशाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ही है जो कभी उनके बड़े नेता हुआ करते थे।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने के लिए आए। उनके निशाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया रहे जिनको लेकर वे कमर से नीचे वार करने में भी नहीं चूके। बघेल ने कहा सिंधिया को तो एक अदने से कार्यकर्ता ने धूल चटा दी थी। वे यही नहीं रुके और कहा कि अब सिंधिया का कोई राजनीतिक प्रभाव नहीं है। सबसे खास बात यह है कि प्रदेश की सरकार पर कोई गंभीर आरोप लगाने से भूपेश बघेल बचते दिखे। यह भी खबर है कि कांग्रेस से बगावत कर वापसी करने वाले सचिन पायलट इसी अंचल में चुनाव प्रचार के लिए आ सकते हैं। इस क्षेत्र में गुर्जर मतदाताओं की संख्या अधिक है और पायलट गुर्जरों के नेता ही माने जाते हैं।

प्रदेश के 28 उपचुनाव के लिए कमलनाथ का साथ देने के लिए प्रदेश के अन्य दिग्गज नेता जिनमें दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, अजय सिंह राहुल भैया और अरुण यादव शामिल हैं कोई बड़ा दम नहीं मार रहे हैं। कमलनाथ अकेले के दम पर 28 सीटें जीतकर सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं। लेकिन डबरा की सभा में एक दलित महिला ने प्रत्याशी के विरुद्ध आइटम शब्द का इस्तेमाल करके वे ऐसे चक्रव्यूह में फंस चुके हैं जहां से निकलने के लिए उन्हें खासी मेहनत करना पड़ेगी। अपना सपना फीका पड़ते देख कमलनाथ ने भूपेश बघेल और सचिन पायलट की मदद मांगी है। प्रदेश का मतदाता इन नेताओं के आगमन के बाद कांग्रेस के प्रति कितना प्रभावित होता है यह तो परिणाम के दिन मालूम चलेगा लेकिन यह अवश्य मालूम चल गया कि कांग्रेस और प्रदेश का संगठन अपने दम पर 28 उपचुनाव की हवा बनाने की स्थिति में नहीं है।

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