‘नेताओं’ की बहिन इशरत निकली ‘आतंकी’
सीबीआई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि बचाव पक्ष की ओर से ऐसा कोई प्रमाण पेश नहीं किया जा सका कि इशरत जहां एनकाउंटर में इशरत आतंकवादी नहीं थी। जबकि पुलिस की ओर से जितने भी तर्क दिये गये उसका तोड़ भी विरोध पक्ष की ओर से नहीं दिया गया। इसी के कारण इस पर निर्णय सुनाते हुये सीबीआई कोर्ट ने तीन उन पुलिस वालों को बरी कर दिया जिनको हत्या के आरोप में जेल में डाल रखा था। उनका पुलिस कैरियर विवादित बना दिया था। अब उनके बारे में सरकार को निर्णय करना होगा। आतंकी इशरत की ओर से इस मामले को ऊपर वाली अदालत में चुनौती देने का अधिकार तो है लेकिन पहली बार में यह साफ हो गया कि एक आतंकी के लिए देश के राजनेताओं ने अपनी मर्यादा को तोड़ दिया। क्या देश की राजनीति इतने नीचे चली गई है कि वोटों के लिए आतंकवादियों का सहारा औरी समर्थन लिया जायेगा? यह देश के खिलाफ जाने की सोच है। लेकिन जो हो रहा है तब कोई क्या कर सकता है? यह स्थिति हो गई है।
याद ही होगा कि बटला हाऊस एनकाउंटर मामले में सोनिया गांधी को नींद नहीं आई और वे रात में रोने लग गई। दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद की कहानी सबको पता है। ससंद पर हमला करने वालों की रात में सुनवाई कराकर राहत देने की बात इसी देश में होती है। कश्मीर में वर्षों तक सेना को अधिकारों से वंचित रखा गया। लेकिन अब वहां सेना सफाई अभियान में लगी है। इशरत के मामले में नेताओं ने उससे रिश्तेदारी साधने का प्रयास शुरू कर दिया था। आज जब न्यायालय ने अपना आदेश सुनाया तो इन नेताओं के कान खड़े हो जाना चाहिए। लेकिन हुये नहीं हैं। अब एक बात साफ हो गई है कि आतंकवादियों का समर्थन करने की राजनीति के दिन लदते जा रहे हैं। इशरत जहां आतंकी थी यह बात न्यायालय ने प्रमाणित कर दी है।