नाथ के विवादित बोल करा रहे कांग्रेस की किरकिरी

भोपाल। संदीप सिंह गहरवार। कभी गंभीर और कद्दावर नेताओं में शुमार कांग्रेस के दिग्गज नेता, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के विवादित बोल इन दिनों कांग्रेस की किरकिरी कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मध्यप्रदेश में आने से लेकर अब तक पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की कई ऐसे बयान है जो कांग्रेस के लिए गाहे बजाहे मुश्किलें खड़ी करने का काम किया है। फिर मामला चाहे कोविड-19 पर दिए बयानों का हो या इमरती देवी को आयटम कहने का हो या फिर अफसरों को धमकाने का हो। कमलनाथ के साथ-साथ पूरी कांग्रेस की किरकिरी हुई है। मध्यप्रदेश में विगत 16 सालो से हाशिये पर चल रही प्रदेश कांग्रेस की अपने ही प्रदेश अध्यक्ष की इन बे-सिर पैर के बयानों से भारी क्षति उठानी पड़ रही है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्षों सुरेश पचौरी एवं कांतिलाल भूरिया के कार्यकाल में गर्त में पहुंची कांग्रेस संगठन को अपनी मेहनत और ईमानदारी पूर्वक किये गए सतही प्रयासों और तालमेल से एक मजबूत दल के तौर पर स्थापित करने वाले कांग्रेस के 2 सिपहसालारों पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की मंशा पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की राजनीतिक नासमझी इतनी भारी पड़ी की उसे हाथ आई सत्ता भी गवानी पड़ी। फिर 28 सीट पर हुए उपचुनावों में प्रदेश की पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी पर कमलनाथ के बयानों से कांग्रेस इस तरह बैकफुट पर आई की उसे महज 9 सीट पर ही संतोष करना पड़ा।

कोरोना पर बोल से देश की छवि हुई खराब 

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दरमियान कमलनाथ के विवादित बोल, "भारत की छवि दूसरे देशों में खराब हुई है। यही वजह है कि कोरोना काल में भारतीयों के आगमन पर कई देशाें ने रोक लगा दी है। भारत महान नहीं भारत बदनाम हो गया है।" से न सिर्फ कमलनाथ बल्कि पूरे भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब हुई है। क्योकि कमलनाथ कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते हैं। जबकि किसी भी अन्य देश के नेताओं ने कोरोनाकाल में अपनी देश की व्यवस्थाओं पर सवाल नहीं उठाए हैं। इसी प्रकार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने गत 21 मई को एक वर्चुअल प्रेस वार्ता के दौरान कहा था कि दुनियाभर में देश की पहचान "इंडियन कोरोना" के नाम से बन गई है। इसकी शुरुआत चीनी कोरोना से हुई थी। अब यह भारतीय वेरिएंट कोरोना है। आज, भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कोविड-19 के भारतीय संस्करण से डरते हैं। हमारे वैज्ञानिक इसे भारतीय संस्करण कह रहे हैं। सिर्फ भाजपा के सलाहकार ही नहीं मान रहे। हालांकि कमलनाथ के 21 मई के बयान को लेकर मप्र पुलिस की क्राइम ब्रांच ने धारा 188 और 54 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। कमलनाथ के बयान के खिलाफ भोपाल में भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने केस दर्ज कराने के लिए पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा था, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।

खुद की नाकामी का ठीकरा विंध्य पर फोड़ा 

भाजपा की 15 साल की सत्ता के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्ता वापसी कांग्रेस के धनिक कमलनाथ के मैनेजमेंट और रुपयों का खेल नहीं बल्कि विंध्य क्षेत्र से नाता रखने वाले  कद्दावर कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल और निमाड़ के सपूत कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव की संगठनात्मक मेहनत, तब के कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के युवा चेहरे की उम्मीद और कार्यकर्ताओं की अथाह मेहनत का नतीजा था, पर यही सच समझने में कमलनाथ चूक कर गए। हल ही में एक बयान में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का यह कहना कि 2018 के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में पार्टी की करारी हार के कारण कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी। उनके अलावा किसी भी कांग्रेसियों को गले नहीं उतर रही। हालांकि नाथ के इस बोल पर पलटवार करते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा था कि विंध्य क्षेत्र को दोष देना ठीक नहीं है। सिंह के इस बयान के बाद तो कांग्रेस में बखेड़ा खड़ा हो गया। कई छोटे बड़े नेता इस मे कूद पड़े, तब अजय सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संयम बरतने की सलाह दी जिससे मामला शांत हुआ। हालांकि विंध्य को दोष देने वाले कमलनाथ को यह बात अच्छे से समझने की भी जरूरत है कि अजय सिंह के विपक्षी कार्यकाल में 50 से भी कम संख्या बल वाली कांग्रेस ने तत्कालीन शिवराज सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी पर उससे दुगनी संख्या बल वाली वर्तमान प्रदेश कांग्रेस के मुखिया कमलनाथ वर्तमान सरकार के खिलाफ न तो सड़क में दम दिखा पा रहे न सदन में। ऐसे में कमलनाथ को अजय सिंह और अरुण यादव सरीखे पार्टी नेताओं से सीखने आए मशविरा करने में कोई बुराई नहीं होगी।

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