देश में उप मुख्यमंत्रियों के दिन चल रहे हैं खराब

नई दिल्ली। (विशेष प्रतिनिधि)। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया इन दिनों जेल में हैं। उनकी मुश्किल कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। आबकारी नीति मामले में लम्बी जांच के बाद सीबीआई ने मामला दर्ज किया तो जेल हो गई। जमानत की उम्मीद नहीं इसके बाद प्रकरण दर प्रकरण दर्ज हो रहे हैं। सत्ता का मजा लेने वाले तेजस्वी यादव बिहार के उप मुख्यमंत्री हैं। जांच उनकी भी चल रही है। न्यायालय को सीबीआई ने कहा है कि अभी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जायेगा। गर्भवती पत्नी का सहारा लेकर बच रहे हैं। बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी यह बात उनके लिए कही जाने लग गई है। इसलिए कहा जा रहा है कि इन दो घटनाओं ने उप मुख्यमंत्रियों के लिए चिंता पैदा कर दी है क्या उप मुख्यमंत्रियों के दिन खराब चल रहे हैं?

खास बातें :-

  • एक के बाद दूसरे उप मुख्यमंत्री पर सीबीआई की जांच से अन्य उप मुख्यमंत्री चिंता में आ गये।
  • मनीष सिसोदिया के खिलाफ जासूसी मामले की भी प्रकरण दर्ज हुआ। उनकी बढ़ी परेशानियां।
  • तेजस्वी यादव भी जांच की जद में आये। लालू यादव के समय रेल जमीन घोटाले की आंच से प्रभावित
  • गर्भवती पत्नी का सहारा लेने का आरोप
एक साथ दो बड़ी खबरें आईं। जासूसी मामले में मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया है। इससे पहले उनके खिलाफ ईडी भी अपनी कार्यवाही कर चुका है। मतलब जेल में लम्बर रहने का इंतजाम कर दिया गया है। यह पहला मामला है कि जब जासूसी मामले में प्रकरण दर्ज हुआ और आम आदमी पार्टी के लोग  मोदी पर हमला करने सामने नहीं आये। उल्टा केजरीवाल ने पहली बार किसी विषय पर बोलने से मना किया है। यह संदेश दे रहा है कि उनका कांटा निकल गया। अब दिल्ली की सरकार में कोई उप मुख्यमंत्री नहीं है। मनीष को लेकर आम धारणा यह थी वे ईमानदारी से काम कर रहे हैं और अन्ना के इस समर्थक की रूचि आर्थिक लाभ लेने में कोई रूचि नहीं है। लेकिन दिखावा कुछ और सच कुछ और है ऐसा सीबीआई बता रही है। न्यायालय दूध का दूध और पानी का पानी कर देगा। हाल में तो मनीष की साख प्रभावित हो गई है।

दूसरे उप मुख्यमंत्री हैं बिहार के तेजस्वी यादव रेलवे में पिता के कारनामों को भोग रहे हैं। वह राजनीति का ऐसा दौर था जिसमें काम कम कमाई ज्यादा होती थी। लालू ने रेलवे को समय पर चला दिया था लेकिन रेलवे की जमीनों को खुर्दबुर्द कर दिया। नौकरी के बदले हुए इस घोटाले की आंच अब सबके सामने आ गई है। राजनीति में जब आप सरकार से बाहर करवायेंगे तब सरकार तो आपको भी मजे कहां लेने देगी। इन दिनों बिहार में जबरदस्त राजनीति चल रही है। लड्डु कांड के साथ सीबीआई भी अपना कमाल दिखा रही है। तेजस्वी को गर्भवती पत्नी की आड़ में छुपना पड़ रहा है। वे मीडिया के सामने आकर यही तो कह रहे हैं। आने वाला समय उनके लिए भी कम कठोर होगा इसकी संभावना नहीं दिख रही है। लालू यादव का परिवार एक बार फिर से भ्रष्टाचार की दंश झेल रहा है।

विपक्षी नेताओं के साथ भ्रष्टाचार का खेल और अब उनकी जांच की गति ने देश की राजनीति को उबाल कर रखा हुआ है। एक के बाद एक पकड़े जा रहे हैं। सभी विपक्षी नेताओं की एक ही मांग है कि अडाणी मामले में संयुक्त संसदीय समिति का गठन कराकर जांच कराई जाये। लेकिन अडाणी मामला किसी सरकारी खरीदी का नहीं है जिसकी जांच सरकारी तंत्र करे। अब वैसे भी न्यायालय इसकी जांच करवा रहा है तब किसी अन्य जांच की जरूर क्यों होना चाहिए। परन्तु विपक्षी नेता अपनी जांच और भाषणों की समस्या से निपटने के लिए अडाणी नाम का शस्त्र चला रहे हैं। इन दिनों राजनीति में उप मुख्यमंत्री दहशत में हैं और अच्छे दिनों की  अपेक्षा कर रहे हैं।

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