देश की पहली इंजन रहित ट्रेन पटरी पर उतरी, शताब्दी की लेगी जगह
चेन्नई। देश की पहली 'इंजन रहित' ट्रेन का पहला ट्रायल सोमवार को किया गया। इस ट्रेन का ट्रायल चार दिन तक चलेगा। इसे लखनऊ-मुरादाबाद, चेन्नई-बेंगलुरु, मुंबई-अहमदबाद और दिल्ली-भोपाल रूट पर चलाया जायेगा। ट्रायल के दौरान ही पांच नवंबर को यह ट्रेन दिल्ली पहुंचेगी। इसके बाद इसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन को आगे के परीक्षण के लिए सौंप दिया जायेगा। यह ट्रेन 'सेल्फ प्रपल्शन मॉड्यूल' पर 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार तक दौड़ सकती है।
यह ट्रेन शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस की जगह लेगी। ट्रेन-18 की तकनीकी विशिष्टताओं के चलते इसकी गति सामान्य ट्रेन से अधिक होगी। कुल 16 कोच वाली यह ट्रेन सामान्य शताब्दी ट्रेन के मुकाबले कम वक्त लेगी। पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत इस ट्रेन को विशेष रूप से बुलेट ट्रेन के मॉडल पर तैयार किया गया है। इसका नाम ट्रेन-18 रखा गया है। ट्रेन-18 बिना किसी इंजन (लोकोमोटिव) के चलेगी। सोमवार को चेन्नई की इंटिग्रल फैक्टरी में 'ट्रेन-18Ó को अनावरण करने के बाद इसे रवाना किया गया। रेल बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने हरी झंडी दिखा कर इसे रवाना किया।
ट्रेन-18 फुल एसी है और इसके स्वचालित दरवाजे हैं। इसके अलावा जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली, लाइट, वाइ-फाइ, वैक्यूम टॉयलेट, सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस सिस्टम से यात्रियों को हर तरह की सुविधा दी गयी है। ट्रेन-18 शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस से आधुनिक और रफ्तार वाली है। शताब्दी की गति 130 किलोमीटर प्रति घंटे है, जबकि ट्रेन-18 की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी। शताब्दी और राजधानी में यात्रा करने के मुकाबले यह ट्रेन 15 कम समय लेगी. ट्रेन-18 को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यात्री ड्राइवर के केबिन के अंदर देश सकते हैं. शताब्दी ट्रेन को 1988 में शुरू किया गया था। इस ट्रेन के मध्य में दो एक्जिक्यूटिव कंपार्टमेंट होंगे। प्रत्येक में 52 सीट होंगी। वहीं, सामान्य कोच में 78 सीटें होंगी। इन सीटों को 360 डिग्री रोटेट भी कर सकते हैं। यात्री इस सीट को हर दिशा में घूमा सकता है।