दिग्गज नेताओं से कैसे निपटेंगे खडग़े?
भोपाल। विशेष प्रतिनिधि। कांग्रेस के नव निर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को खुद कांग्रेस की सुप्रीमों रहीं श्रीमती सोनिया गांधी ने कुर्सी पर बिठाया। खडग़े ने कार्यसमिति को खत्म कर नया संदेश दिया। साथ में शशि थरूर को स्थान न देकर अपने मंसूबे भी बता दिये। मतलब आज भी कांग्रेस में विरोध करने वाले का कोई स्थान नहीं है। इन बातों के बीच खडग़े की असल परीक्षा तो देश भर में दिग्गज नेताओं के काबीज होने पर युवाओं की हो रही हकमारी को लेकर होने वाली है। वे कमलनाथ, गहलोत और बघेल से किस प्रकार से निपटेंगे।
कांग्रेस के नये अध्यक्ष के चार्ज लेने की औपचारिकता पूरी हो गई। अब काम करने की बारी है। हालांकि खडगे ने कुछ नया संदेश तो नहीं दिया क्योंकि उन्हें भाजपा की चिंता होना स्वभाविक है और कोई भी कांग्रेसी यदि आरएसएस का नाम नहीं लेगा तो उसकी दिनचर्या पूरी कैसे होगी? लेकिन असल लड़ाई तो सबसे पहले पार्टी के अंदर जीतना है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ उम्र दराज नेता हैं लेकिन वे दो पीढ़ी के युवाओं का हक मार रहे हैं। इसी प्रकार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के के करनामें की रिपोर्ट ता उन्होंने ही सोनिया गांधी को सौंपी थी। अब क्या कोई निर्णय लेने की स्थिति में खडग़े साहब रहने वाले हैं?
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो गांधी परिवार से सीधे टच वाले नेता हैं। ऐसे में उनसे किसी भी प्रकार की कवायद लेने का साहस कांग्रेस के नये अध्यक्ष खडग़े लेने की स्थिति में नहीं हैं।
गांधी परिवार के बिना हालांकि कांग्रेस का कोई वजूद नहीं है इसलिए खडग़े के सामने यह चुनौती भी है कि वे काम तो गांधी परिवार के मार्गदर्शन में करें लेकिन खुद को अधीन दिखने से कैसे बचायेंगे यह बड़ी चातुर्यपूर्ण बात होगी। ऐसे में खडग़े को छोटी-मोटी समस्याओं से नहीं आन्तरिक समस्याओं से पहले दो-दो हाथ करना होंगे। कमलनाथ को प्रदेश में हिलाने की स्थिति बनती नहीं दिख रही है। नाथ पुराने और अनुभवी नेता है। एक सीट के विनर भी हैं। इसलिए आज कांग्रेस एक भी सीट का जोखिम उठाने की स्थिति नहीं है। ऐसे में कमलनाथ को अधिक से अधिक युवाओं को जिम्मेदारी देने की बात मनवाना संभव नहीं दिख रहा है। राजस्थान में अपने लिखे से पलटने का पहला डंट लगते देखने में अधिक समय लगने वाला नहीं है। ऐसा होने पर यह संदेश जाने से रोकना कठिन हो जायेगा कि कांग्रेस अध्यक्ष से लगातार युवाओं की अनदेखी कर रही है। इस झांझावत से निकटने के लिए खडग़े मानस क्या कहता है सबकी नजरें लगी हुई हैं।