दमोह में शिव-नाथ में फिर शक्ति परीक्षण

भोपाल (विशेष प्रतिनिधि)। 28 उपचुनावों में कमलनाथ की उम्मीदों पर पानी फेरने के बाद अब एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच में शक्ति परीक्षण दमोह में होना है। कमलनाथ ने दमोह का दौरा कर लिया और अपना चुनावी वातावरण बनाने का प्रयास शुरू कर दिया है। कमलनाथ ने अपने सिपहसालारों को मैदान में उतार दिया है। भाजपा उपचुनाव जीतने की महारथ लिये है। जब वह विपक्ष में थी तभी से उपचुनाव जीतने की रणनीति में निपुण है। इसलिए शिवराज सिंह चौहान का चमकदार चेहरा और जयंत मलैया का साथ आना भाजपा के पक्ष में है। बुन्देलखंड के अधिकांश भाजपा के नामी चेहरे भी उपचुनाव में मैदान संभाले हैं। इस प्रकार से चुनाव किस करवट बैठेगा इसका पूर्वानुमान लगाने में कोई अधिक परेशानी नहीं है। फिर भी मतदाता के निर्णय को चुनौती कोई देने की स्थिति में नहीं रहता है। कांग्रेस के प्रत्याशी अजय टंडन ने अपना नामाकंन कमलनाथ की उपस्थिति में भर दिया है जबकि भाजपा के राहुल लोधी ने आज अपना नामांकन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित अन्य नेताओं के साथ मिलकर भरा है। अब चुनावी बिगुल फूंक दिया गया है। दोनों ही बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

सत्ता से बेदखल होने के बाद कमलनाथ के सामने एक बड़ी चुनौती उन 28 विधानसभा उपचुनावों की जीतने की थी जिनसे कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर जीतकर आये और भाजपा में चले गये विधायक चुनाव मैदान में थे। इनमें कांग्रेस अधिक कुछ नहीं कर पाई। भाजपा ने इन उपचुनावों के माध्यम से अपनी सरकार का स्थायित्व प्राप्त कर लिया। यह सच है कि तीन प्रमुख मंत्री चुनाव हार गये लेकिन भाजपा की बहुमत वाली प्रदेश में सरकार बन गई। प्रदेश में पहली बार हंग विधानसभा बनी लेकिन बीच में ही बहुमत वाली सरकार उसे वापस मिल गई। विधानसभा के आम चुनाव से पहले कमलनाथ जिस चमकदार चेहरे को लेकर आये थे। उनकी बात पर मतदाता भरोसा कर रहा था वह चमक उपचुनावों में नहीं रही थी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फिर से सरकार संभालने के बाद जिस तेजी से वापसी की उससे लगता है कि जनता को अपना निर्णय बदलने की पे्ररणा मिली। उपचुनाव में भाजपा की जीत हुई। कांग्रेस के विधायकों का दल छोडऩे का सिलसिला अन्तिम समय तक जारी रहा। खबर तो यह भी है कि कुछ और विधायक भाजपा का दामन थामना चाहते हैं लेकिन भाजपा नेतृत्व इसकी मंजूरी नहीं दे रहा है। केवल दमोह ऐसा स्थान रहा है जिसके उपुचनाव की जरूरत थी जो जारी हैं। शिवराज सिंह चौहान के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि वे सिनियर नेता जयंत मलैया को समझाकर इस चुनाव में राहुल लोधी के साथ कर लें। उन्हीं के साथ उनका बेटा सिद्धार्थ भी भाजपा के लिए काम करना शुरू कर दे। इस मामले में संगठन ने सफलता पाई। सुना गया है कि अपने पुराने साथी गोपाल भार्गव की बात से सहमत होकर जयंत मलैया ने मिलकर काम करना शुरू किया। यह भाजपा के लिए सबसे बड़ी और पहली जीत थी।

गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह सहित बुन्देलखंड के अधिकांश नेता मैदान को संभाले हैं। केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल भी अपने चुनाव क्षेत्र के इस उपचुनाव में ताकत लगाये हैं। उमा भारती ने भी शिवराज को आश्वासन दिया है कि वे भी इस क्षेत्र में जरूरत के हिसाब से प्रचार करने आयेंगी। स्वजातीय बंधु के लिए प्रचार तो उनकी ओर से भी बनती ही है। इसके बाद संगठन की अपनी रचना और प्रदेश भर के नेता और विधायक भाजपा की ताकत को जनता के माध्यम से दिखाने के लिए जुट गये हैं। आज राहुल लोधी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। इस अवसर पर शिवराज सिंह चौहान ने जमकर कमलनाथ पर आरोप लगाये। उन्होंने आन रिकार्ड कहा कि उन्होंने वल्लभ भवन को दलालों का अड्डा बना दिया था। काम की दर तय होती थी। लोग भाग रहे थे और कमलनाथ मंत्रालय में हिसाब किताब करने के लिए बैठे रहते थे। इससे भाजपा की पक्ष दमदार और चमकदार हो रहा है।

इधर कमलनाथ ने दमोह का दौरा कर लिया है। वे अपने प्रत्याशी अजय टंडन का नामांकन दाखिल कराने के लिए गये थे। उन्होंने वहां सभा करके अपनी सरकार जाने और राहुल लोधी के भाजपा में जाने का लेकर आरोप लगाये। कांग्रेस ने भी उपचुनाव को लेकर खासी रणनीति बनाई है। रवि जोशी को वहां का प्रभार दिया है। उनके साथ पूर्व मंत्री लखन घनघौरिया और बृजेन्द्र सिंह राठौर को लगाया गया है। युवा विधायकों को क्षेत्रवार जिम्मेदारी दी गई है। हर पोलिंग बूथ कवर हो जाये इसके लिए कांग्रेस ने रणनीति बनाई है। आज कांग्रेस का उस समय बड़ा झटका लगा है जब पूर्व मंत्री और बड़े कांग्रेसी नेता मुकेश नायक के भाई सतीश नायक ने भाजपा का दामन थाम लिया।

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