‘ताबूत’ में आखरी कील ठोकने की तैयारी में ‘दिग्विजय’
उन्होंने साफ कहा था कि यह प्रावधान अस्थाई है और यह धारा घिसते घिसते घिस जायेगी। लेकिन तब देश इस परिवार की बपौती था। जब तक बपौती रहा तब तक यह घारा न तो घिस पाई और न ही समाप्त ही हो पाई। लेकिन जब संघ विचार की सरकार बनी और पूर्ण बहुमत के साथ बनी तब न केवल इस धारा को घिसी पिटी करार दे दिया गया। देश की उन समस्याओं का समाधान भी कर दिया जिसको लेकर देश असहज महसूस करता था। भारत जैसा विशाल देश एक परिवार के रहमोकरम पर रह सकता? इस प्रकार की योजना केवल कांग्रेस विरोधी ही नहीं कर रहे अपितु कांग्रेस के अंदरखाने में भी इसी प्रकार की योजनाएं जारी है। जब पाकिस्तान दौरे पर कांग्रेस का कोई भी नेता जाता है तब उसे पाक विभाजन की गलती का अहसास नहीं होता बल्कि गौरव महसूस होता है। वे वहां पाक प्रशंसा में भारत की आलोचना करना भी गौरव समझते हैं। अब बात चाहे मणिशंकर अय्यर की हो या फिर दिग्विजय सिंह की। ये सभी पाक की तारीफ तो करते ही हैं लेकिन कांग्रेस की ताबूत में एक नई कील ठोक देते हैं। अब आप दिग्विजय सिंह को ही ले लीजिए? धारा 370 को लेकर दिए उनके बयान की गंदगी कांग्रेस कितने दिन में साफ कर पायेगी।
एक पाकिस्तानी पत्रकार के साथ बात करता हुआ आडियों दिग्विजय सिंह का आया है। जिसमें वे कहते सुन रहे हैं कि जब कांग्रेस सरकार में आयेगी तब धारा 370 को फिर से लागू करने का विचार किया जायेगा। वे भारत सरकार पर जो आरोप लगा रहे हैं यह विरोधी नेता का अधिकार है लेकिन हिन्दू समाज की आलोचना करने की उनकी आदत की कभी कोई तारीफ नहीं हुई। भोपाल लोकसभा के चुनाव में उनकी करारी हार का आधार ही उनका हिन्दू विरोधी होना ही रहा था। इसके बाद भी वे आलोचना की मानसिकता में बदलाव नहीं कर पाये। वस्तुत बात कुछ यूं कही जाती है। मध्यप्रदेश की राजनीति के चाणक्य अर्जुन सिंह के पिता को पंडित जवाहर लाल नेहरू के कारण जेल हुई थी। वहां की शपथ की बात तो अर्जुन सिंह से जोड़कर कही जाती है लेकिन उस प्रण को पूरा करने का काम उनका शिष्य कर रहा है। दिग्विजय सिंह के हर बयान के बाद कांग्रेस के प्रति समर्थन कम होता है चाहे कोई माने या न माने।
अब उन्होंने जिस प्रकार से धारा 370 का जिक्र करके पाकिस्तान के पत्रकार के सामने जो रायता फैलाया है उसे समेटने में कांग्रेस को लम्बा समय लगेगा। अभी कांग्रेस अपने राजनीतिक जीवन के सबसे नीचले पायदान पर खड़ी है। लोकसभा में विपक्ष का नेता नहीं है। राज्यों में सरकारें घटती जा रही हैं। बड़े राज्यों में विधायकों की संख्या कम है। युवा नेताओं में असंतोष और भगदड़ है। जिन नीतियों के कारण मोदी सरकार की ताकत मानी जा रही है उनकी आलोचना करके कांग्रेस को असहज किया जा रहा है। पाक में इस प्रकार के बयान किसी भी दल को परेशान कर सकते हैं चाहे वे आडवाणी के हों या दिग्विजय के। तब क्या सबने कील ठोकने का तय ही कर रखा है?