जब चुनाव में ममता का गोत्र भी हुआ शांडिल्य
नई दिल्ली ( विशेष प्रतिनिधि)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल की एक आम सभा में ममता बनर्जी और कांग्रेस का एक ही डीएनए बताया था। यह बात विशुद्ध रूप से राजनीतिक परिपेक्ष में थी क्योंकि ममता बनर्जी ने कांग्रेस पार्टी से अलग होकर ही तृणमूल कांग्रेस का गठन किया था। लेकिन जिस दिन उनके चुनाव क्षेत्र नंदीग्राम में प्रचार का शोर थम रहा है उस दिन उन्होंने एक नया रहस्योद्घाटन किया है ममता बनर्जी ने कहा उनका मूल गोत्र शांडिल्य है लेकिन वे अपने आप को मां माटी मानुष कहती हैं यहां उल्लेख करने की बात यह है कि चुनाव के समय राहुल गांधी ने भी अपना गोत्र शांडिल्य ही बताया था। अब इस गोत्र के आधार पर चुनाव परिणामों की समीक्षा की जाने लगी है।
अपने 10 वर्ष के कार्यकाल में ममता बनर्जी को हिंदू समाज कभी भी फूटी आंख नहीं सुहाता रहा है इसके कई प्रमाण सामने आते रहे हैं एक बार तो मोहर्रम के जुलूस की जरूरत को देखते हुए दुर्गा पूजा के जुलूस की पाबंदी चर्चा का विषय रही थी हालांकि इसका देशभर में विरोध हुआ था और मामला न्यायालय तक गया था न्यायालय के निर्देश के बाद ही दुर्गा पूजा विधिवत जारी रह पाई बांग्ला देसी मुसलमानों का मामला हो या रोहिंग्या ममता बनर्जी का रुख इनके प्रति हमेशा लचीला रहा है यह माना जाता रहा है कि यही इनके वोट बैंक का आधार हैं सी ए ए लागू करने में भी अपने सरकार की रजामंदी इसी कारण नहीं दी गई।
लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए ज्यादा समर्थन मिलने के बाद ममता बनर्जी के की राजनीतिक रणनीति में बड़ा बदलाव आया है वे चाहे जय श्री राम के उद्घोष के बाद मंच पर सार्वजनिक नाराजगी प्रकट करते हुए चली गई हो लेकिन मंदिर मंदिरों के दर्शन करने और अब अपना गोत्र सार्वजनिक करके हिंदू वोटों को अपने पक्ष में करने का प्रयास करती दिख रही है यह उनकी राजनीति का बड़ा बदलाव है।
जब ममता बनर्जी ने अपना गोत्र शांडिल्य बताया सब राजनीतिक समीक्षकों में यह हलचल शुरू हो गई है कि शांडिल्य गोत्र तो राहुल गांधी ने भी मंदिर में लिखवाया था सबसे तब से सभी प्रयास करने के उपरांत वे चुनाव दर चुनाव हारते जा रहे हैं क्या बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी भी पराजय के करीब पहुंच रही है चर्चा तो यह है कि बेर नंदीग्राम में अपना चुनाव क्षेत्र ही बचा पा लेंगी तो बहुत बड़ी बात होगी राहुल गांधी के नक्शे कदम पर चलने की ममता बनर्जी की रणनीति का अभी खुलासा होना शेष है।