‘जनसरोकार’ के साथ शिवराज का पचमढ़ी ‘रिटर्न’
इस बार परम्परा को थोड़ा बदला गया है। शिवराज सरकार नवाचार करने और देश को नई योजनाएं देने में सबसे आगे रहती है। लेकिन संजीवनी क्लीनिक देकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार की मोहल्ला क्लीनिक योजना को अपने हिसाब से लागू करने का साहस दिखाया है। इससे अस्पतालों की भीड़ से सामान्य मरीजों को राहत मिलेगी। मतलब यहां भी जनसरोकार ही दिखाई दे रहा है। जिन अस्पतालों को कोरोना काल के समय सुविधाएं और उपकरण दिये गये थे उन अस्पतालों को सुपर स्पेसिलिटी अस्पताल के रूप में परिवर्तित करने की योजना ने भी सरकार की सोच को रेखांकित किया है। कम खर्च और लाभ अधिक इसी प्रकार से लिया जा सकता है। सीएम राइज स्कूलों को समय से पहले चालू करने का रास्ता निकाला गया है। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार ने सोशल क्षेत्र में इन्फ्रोस्ट्रेक्चर तैयार करने की दिशा में ठोस प्रयास किये हैं। कोरोना की विभिषिका से पार पाते ही सरकार को विकास की दिशा में चल पडऩा ही बताता है कि शिवराज सिंह चाहे सबसे अधिक समय के मुख्यमंत्री हो गये हों लेकिन उनका विजन सजृन करने का दायरा कम नहीं हुआ है।
अब केवल यह देखना शेष है कि प्रशासनिक मिशनरी की कसावट के बारे में क्या सोचा गया है? जिन मंत्रियों को सरकार बनाने के लिए मंत्री बनाया गया था उनको अब भी ढ़ोया जायेगा? या उन्हें बदलकर योग्य हाथों में मंत्रालय दे दिया जायेगा? जनसरोकार की योजनाओं का मूर्तरूप तभी सामने होता है जब क्रियान्वयन करने वाला अमला और उसे मानिटर करने वाला मानिटर भी रूचि और क्षमताओं से लैस हो। अन्यथा देश का कोई भी प्रभावशाली मुख्यमंत्री महीने में दो बार अधिकारियों को धमकाने के लिए अपनी जुबान को कष्ट नहीं देता। जनसरोकार को जनता तक पहुंचाने वाली शिव सरकार के अब नवाचार देखने को मिलेंगे, देखते हैं।