छतरपुर हिंसा मामले में सरकार और सख़्त राजनीति शुरू हुई सक्रिय हुए मुस्लिम राजनेता
मध्यप्रदेश का एक जिला छतरपुर अपने एक घटनाक्रम के लिए पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। महाराष्ट्र में हुई एक धार्मिक विवाद की घटना का मध्यप्रदेश में केवल एक ही जगह प्रतिकार हुआ। ज्ञापन देने के लिए एकत्रित हुआ मुस्लिम समुदाय पथराव और हिंसा पर उतर आया। परिणामस्वरूप प्रदेश की सरकार ने आरोपितों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की। हाजी शहज़ाद अली का करोड़ों का मकान ज़मींदोज कर दिया गया। इसके बाद से शुरू हुई वोट बटोरने की राजनीति। मुस्लिम लीडरशिप अपराध की घटनाओं से ध्यान हटाते हुए इसे महज़ मुस्लिम अत्याचार बताने पर केंद्रित हो गई।
सुरेश शर्मा, भोपाल/छतरपुर। मध्यप्रदेश का एक जिला छतरपुर अपने एक घटनाक्रम के लिए पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। महाराष्ट्र में हुई एक धार्मिक विवाद की घटना का मध्यप्रदेश में केवल एक ही जगह प्रतिकार हुआ। ज्ञापन देने के लिए एकत्रित हुआ मुस्लिम समुदाय पथराव और हिंसा पर उतर आया। परिणामस्वरूप प्रदेश की सरकार ने आरोपितों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की। हाजी शहज़ाद अली का करोड़ों का मकान ज़मींदोज कर दिया गया। इसके बाद से शुरू हुई वोट बटोरने की राजनीति। मुस्लिम लीडरशिप अपराध की घटनाओं से ध्यान हटाते हुए इसे महज़ मुस्लिम अत्याचार बताने पर केंद्रित हो गई। सरकार इसके बाद भी नरमी बरतने के मूड में नहीं है। इसी में बागेशवर धाम वाले बाबा की इंट्री हो गई। अब भी स्थिति एक्शन की दिखाई दे रही है।
खास बातें
- महाराष्ट्र में हुई विवादित धार्मिक टिप्पणी पर मध्य प्रदेश में छतरपुर में ही हिंसा क्यों हुई।
- ज्ञापन देने के नाम पर बुलायी गई भीड़ में पत्थर और हथियार कहाँ से पहुँचे?
- सरकार प्रदेश में हिंसा का माहौल नहीं बनने देना चाहती इसलिए की गई कठोर कार्यवाही।
- हाजी शहजाद अली इस हिंसा का मुख्य सूत्रधार जिस पार हुई कठोर कारवाई। यही से शुरू हुई मुस्लिम लीडरशिप की गतिविधियां।
- आरिफ मसूद, इमरान प्रतापगढ़ी के बाद ओवैसी की हुई एंट्री बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री का कठोर बयान।
समाचार विस्तार से :–
छतरपुर में हुई हिंसा की घटना का मध्य प्रदेश से कोई लेना देना नहीं है। मूलतः महाराष्ट्र में पैगंबर साहब को लेकर एक विवादित टिप्पणी हुई थी। उस टिप्पणी पर महाराष्ट्र में भी कोई बड़ा भूचाल नहीं आया। लेकिन मध्य प्रदेश के छतरपुर में धार्मिक और राजनैतिक महत्व प्रदर्शित करने के लिए थाने का घेराव करते हुए ज्ञापन देने का तय हुआ। यहाँ के प्रभावशाली मुस्लिम नेता और कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे हाजी शहजाद अली की अगुवाई में मुस्लिम समुदाय ने सदर थाने का घेराव किया। यहाँ एकत्र हुई भीड़ का मक़सद महाराष्ट्र की घटना के विरोध में ज्ञापन देना था। यह मक़सद तिरोहित हो गया और प्रभाव दिखाने की राजनीति शुरू हो गई। नेतृत्व कर रहे लोगों ने भीड़ को उकसाया। उकसाने पर पथराव शुरू हो गया। यहाँ हथियार भी लहराए गए। इस घटनाक्रम से कई पुलिस अधिकारी और कर्मचारी घायल हुए। इसके बाद प्रदेश स्तर पर इस घटना को गंभीरता से लिया गया। यह तय हुआ कि ऐसा संदेश दिया जाए कि प्रदेश में शांति व्यवस्था व भाईचारा बना रहे। अगले दिन जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने एक कठोर संदेश दिया।
हाजी शहजाद अली के 20 हज़ार वर्ग फुट पर बने बीस करोड़ की लागत वाले एक आलीशान भवन पर कार्रवाई शुरू कर दी। शाम तक उसे पूरी तौर पर ज़मींदोज कर दिया गया। बाहर रखे तीन महँगी गाड़ियों को भी चकनाचूर किया गया। इस प्रकार पुलिस ने ख़ुद पर हुए हमले का बदला भी ले लिया है और यह संदेश भी प्रसारित कर दिया कि धार्मिक आधार पर उपद्रव करने की इसी को अनुमति नहीं दी जा सकती है। हाजी शहजाद अली अपने परिवार सहित फ़रार हो गया। अभी तक उसका कोई सुराग नहीं लगा है।
अब शुरू हुई राजनीति
मध्यप्रदेश विधानसभा में दो मुस्लिम विधायक है। एक नये और दूसरे दो बार के। दूसरी बार के विधायक आरिफ़ मसूद दबंग छवि के कारण पहचाने जाते हैं। सबसे पहले उन्होंने छतरपुर घटना पर अपना ग़ुस्सा जताया। मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और कांग्रेस के नेतृत्व खुलकर सामने आने का आह्वान करते हुए लताड़ लगायी। अगले दिन समूचा कांग्रेस नेतृत्व पुलिस महानिदेशक के दरवाज़े पर खड़ा हो गया। इसी के साथ उत्तर प्रदेश के बड़बोले राज्यसभा सदस्य इमरान प्रतापगढी ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया। इस प्रकार के प्रयासों का मध्य प्रदेश के अल्पसंख्यकों पर कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया। जब कांग्रेस की मुस्लिम लीडरशिप सक्रिय हो चुकी है।तब ओवैसी की एंट्री न हो यह कैसे हो सकता है? उन्होंने भी अपने ज़हर बुझे तीर छोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी।इस प्रकार के छतरपुर की हिंसात्मक घटना को अल्पसंख्यकवाद की राजनीति से बचाने का प्रयास किया गया। भाजपा की तरफ़ से प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णु दत्त शर्मा ने तगड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा किसी अपराधी को मध्य प्रदेश में बख़्शा नहीं जाएगा क्योंकि यहाँ भाजपा की सरकार है।
धीरेंद्र शास्त्री की एंट्री
बाबा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का यह जिला है। इसलिए उनकी एंट्री की प्रतीक्षा की जा रही थी। बाबा अपने स्वभाव के अनुरूप बोले और खुलकर बोलते गए। उन्होंने कहा हम यहाँ पाकिस्तान और बांग्लादेश नहीं बनने देंगे। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के सर तान से जुदा के नारे का अपना संस्करण पेश करते हुए कहा यदि समुदाय विशेष हिंसा करने का प्रयास करेगा तो छत भवन से जुदा कर दी जाएगी। इसके बाद बाबा की आलोचना करने के लिए भी कांग्रेस और मुस्लिम नेतृत्व सामने आया। लेकिन इसका कोई प्रभाव पड़ता हुआ दिखाई नहीं दिया।
वोट बैंक की पॉलिटिक्स
यदि छतरपुर की घटना को राजनीतिक चश्मे से देखा जाए तो थाने का घेराव ही राजनैतिक लाभ और वोट बैंक की पॉलिटिक्स के लिए ही शुरू होता है। हाजी शहजाद अली इस क्षेत्र के प्रमुख मुस्लिम नेता है। बड़े परिवार का दबदबा है और अडीबाजी के आरोप भी लगते हैं। इसलिए उन्होंने मुस्लिम समुदाय पर अपना प्रभाव दिखाने के लिए इस प्रदर्शन का आयोजन किया। मध्यप्रदेश के किसी भी क्षेत्र में महाराष्ट्र वाले बयान पर किसी भी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। इसलिए इस मामले को हिंसात्मक रुप देकर कोई बड़ी घटनी घटना किए जाने की योजना थी। जो अगले ही दिन प्रशासन ही कठोर कार्रवाई के कारण मूर्त रूप नहीं ले पाई। मुस्लिम समुदाय को आहत देखकर कांग्रेस सक्रिय हुई और प्रदेश में अपना वोट बैंक पुख़्ता करने के लिए राजनीति करने लगी। इस सांप्रदायिक राजनीति की दूसरी तरफ़ प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक थी। इसलिए भाजपा का नेतृत्व भी इससे उपजी प्रतिक्रिया का लाभ लेने में लग गया। वोट बैंक की पॉलिटिक्स का प्रभाव मध्य प्रदेश की सीमाओं को पार कर गया। उत्तर प्रदेश और हैदराबाद के मुस्लिम नेताओं ने भी अपने वोट बैंक को साधने का इसे का अवसर माना और सक्रिय हो गए।
प्रशासन की कार्रवाई जारी
जिस गति से राजनीति प्रारंभ हुई प्रशासन की सक्रियता भी निरंतर बनी हुई है। राजस्व और पुलिस विभाग के द्वारा एक आलीशान भवन को ज़मींदोज करने से शुरू हुई कार्रवाई अब हथियार के लाइसेंस निरस्त करने तक पहुँच गई है। जिला कलेक्टर ने अभी तक 19 लोगों के लाइसेंस निरस्त करने संबंधी आदेश जारी की है। धीरे-धीरे पुलिस की अनुशंसा प्राप्त होने पर और कार्रवाई की जाएगी। यह जानकारी मिल रही है कि जिला कलेक्टर कुछ और बड़ी कार्रवाई कर सकता है। इस प्रकार छतरपुर कुछ समय और राजनैतिक चर्चा का केंद्र बना रहेगा।