‘चार की’ की जान गई अब शुरू हो गया ‘खेला’
बंगाल का यह चुनाव काफी मायने रखता है। जब वाम दलों से सरकार छीनने के लिए ममता बनर्जी आगे आईं तो सभी अन्य दलों में उत्साह था। यहां तक की सत्ता की असर दावेदार कांग्रेस भी चाहती थी कि सरकार चाहे ममता के पास चली जाये लेकिन वामपंथियों से जाना चाहिए। दो बार से ममता पर जनता ने भरोसा किया। इस बार के चुनाव से पहले तीन सदस्यों वाली भाजपा को यह समझ में ही नहीं आ रहा था कि किस प्रकार से बंगाल में दखल किया जाये। कैलाश विजयवर्गीय को अमित शाह ने जिम्मेदारी दी। मध्यप्रदेश के इस नेता ने हर प्रकार की परिस्थितियों का सामना किया और आज भाजपा को विजय के करीब लाकर खड़ा कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी का आत्म विश्वास तो करीब शब्द को हटाने की कह रहा है। लेकिन यह बात लेखक को परिणाम के लिए छोडऩा चाहिए। क्योंकि यह मतदाता का अधिकार है और उसके परिणाम को चुनौती नहीं देना चाहिए। लेकिन कैलाश विजयवर्गीय ने जिस जमीन को तैयार किया था उस पर खाद बीज का काम अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष ने जगत प्रकाश नड्डा ने दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के छिड़काव के बाद आज वहां फसल पक कर तैयार है।
बंगाल का चुनाव परिणाम कई मायने में महत्वपूर्ण होगा। पहला तो यह कि भाजपा में अगली राजनीतिक पीढ़ी पहले की बजाये ज्यादा परिणामदायक है। दूसरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास एक ऐसी चुनाव जीताऊ ताकतवर टीम है जिसके दम पर वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं। यदि बंगाल का परिणाम जैसा दिख रहा है वैसा आता है तब भाजपा देश की सबसे अधिक ताकतवर राजनीतिक पार्टी के रूप में आ जायेगी। जिन क्षेत्रों में भाजपा का प्रवेश कम था वहां भी स्थितियों में बदलाव दिखाई देगा। जो खेला शुरू हुआ था वह चार की जान लेने के बाद भी जारी है।