‘ग्लैमर’ इंडस्ट्री में कितना पाप और कितना ‘पुण्य’
सरकारें चिन्तित होतीं हैं तब तक जांच भी चलती है बाद में ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है क्यों? एक सवाल पिछले दिनों पूछा गया था कि इंजनियर, डाक्टर और वैज्ञानिकों को साल में इतना धन नहीं मिलता फिर फिल्म के इस कलाकार को एक फिल्म करने की इतनी राशि क्यों दी जाती है? खैर! यह शोध का विषय है और फिल्म समीक्षकों को इस दिशा में काम करना चाहिए। सैक्स फ्री वातावरण हो या डिप्रेशन के बाद आत्महत्या की कथित कहानियों से भरे इस फिल्म जगत की एक विशेषता और सामने आ रही है। नशा यहां ग्लैमर का हिस्सा माना जाने लग गया है। यह सोहरत का पर्याय हो चला है। तभी सुपरस्टार शाहरूख खान ने अपने बेटे आर्यन के बारे में कहा था जिस दिन उनका बेटा ड्रग लेकर आयेगा मुझे खुशी होगी। इन दिनों शाहरूख का यह कथन बार-बार उपयोग में लाया जा रहा है। साल भर से अधिक समय हो गया जब एनसीबी ने मानो इस ग्लैमर इंडस्ट्री में डेरा ही डाल रखा है। सुशान्त की हत्या के बाद ड्रग कनेक्शन महत्वपूर्ण जांच बिन्दु हो गया था। कई महत्वपूर्ण कलाकार चपेट में आए। उन्हें जेल की हवा खाने का सौभाग्य मिला। याद होगा कि सदी के महानायक की सांसद पत्नी ने तो कह दिया था कि जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद कर रहे हैं।
मतलब निकालने का समय नहीं था लेकिन वह तो अपने आप ही निकल आया। जब शाहरूख का बेटा आर्यन धीरे-धीरे स्वीकार कर रहा है कि वह ड्रग लेता है। पहले दिन तो लगा था कि यह शाहरूख को उसके सहिष्णुता पर उठाये गये सवालों और देश को रहने लायक न मानने और कटट्टरपंथी मानसिकता का दंड दिया जा रहा है लेकिन सच यह निकला कि उनका बेटा तो ड्रगिस्ट है वह खुद इस बात को मान रहा है। वह अपराध कर चुका है हालांकि इसका और उसकी सजा का निर्धारण न्यायालय करेगा। लेकिन ग्लैमर की यह इण्स्ट्री पाप और पुण्य के बीच जूझ रही है।