‘गहलोत’ के राज में मंदिर गौशाला पर ‘चोट’
गहलोत सरकार ने देश को शर्मसार किया है। 300 साल पुराना शिव मंदिर तोड़ दिया गया। अतिक्रमण का इतने दिन बाद पता चला। गौशाला को ध्वस्त किया गया। यह हिन्दू विरोधी चेहरा सामने आ गया। एक तरफ राहुल गांधी जनेऊ दिखाकर हिन्दू समाज का समर्थन लेना चाहते हैं वहीं गहलोत मंदिर तोडक़र देश में चल रही अराजकता को हवा देने का प्रयास कर रहे हैं। आखिर विपक्ष का यह कौन सा तरीका है कि वह हिंसा, आतंक और अतिक्रमण को साथ दे रहा है। बंगाल से लगाकर राजस्थान तक अराजकता ही दिखाई दे रही है। क्या यही मोदी के विरोध का तरीका है? अपराधियों को संरक्षण देने के मामले खुलकर सामने आ रहे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा की सरकारों में मुसलमानों के मकाान तोड़े जा रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं हो सकता नाा कि मंदिर तोडक़र उसका बदला लिया जाये। मस्जिदों से पत्थर आयें और वहां अतिक्रमण को हटाने पर न्यायालय की रोक लगवाई जाये। हार रहा विपक्ष और दबदबा खोता विशेष समुदाय इन दिनों देश में अराजकता का वातावरण बनाने में लगा है। अब जनता समझ रही है।
आम आदमी चर्चा करता हुआ दिखाई दे रहा है कि आखिर देश में धार्मिक आधार पर हिंसा का वातावरण क्यों बन रहा है? क्यों हिन्दू धार्मिक अवसरों पर आयोजित होने वाले जुलूसों पर पथराव हो रहा है? क्योंकि अतिक्रमण की आड़ लेकर तत्काल कार्यवाही हो रही है? कौन न्यायालय जाकर मदद कर रहा है और कैसे न्यायालय जल्दबाजी में है? समझने में अधिक समय नहीं लग रहा है। राजनीतिक लाभ के लिए की जाने वाली कार्यवाही से सब होचपोच हो गया है। सरकार और विपक्ष के अपने-अपने एजेंडे हैं। लेकिन गहलोत सरकार देश भर में एक्सपोज हो गई है। कांग्रेस की नीतियां ऐसी ही है इस सवाल का जवाब कौन देगा?