खतरे में है मानव जाति, टीके की कमी से सभी परेशान : दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर में टीके की कमी पर केंद्र सरकार के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि मानव जाति कोरोना महामारी से खतरे में है। एक तरफ केंद्र सरकार कहती है कि महामारी से लड़ने का सबसे प्रभावशाली तरीका सभी नागरिकों का जल्द से जल्द टीकाकरण करना है, बावजूद इसके टीके की कमी से सभी परेशान हैं।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने भारत में स्पुतनिक वी वैक्सीन का उत्पादन शुरु करने के लिए केंद्र सरकार को पेनासिया बायोटेक को ब्याज के साथ 14 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि जारी करने का निर्देश दिया है। यह राशि कंपनी द्वारा मध्यस्थ अवार्ड के रूप में मांगने संबंधी याचिका स्वीकार करते हुए दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि कंपनी वैक्सीन के निर्माण के लिए सरकार से अनुमति प्राप्त करेगी। दिल्ली की पेनासिया बायोटेक रसियन डाइरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के सहयोग से कोरोना संक्रमण से स्पुतनिक वी. टीका बनाने का करार किया है। कंपनी स्पुतनिक वी. की 10 करोड़ खुराक बनाना चाहती है।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने कहा कि मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा कंपनी के हक में दिए फैसले के अनुसार यह राशि दी जाएगी। अदालत ने सरकार को इस रकम पर 2012 से ही ब्याज भी देने को कहा है। अदालत ने कहा कि यह शर्त भी रहेगी कि कंपनी यह अंडरटेकिंग देगी कि स्पुतनिक वी की बिक्री आय की 20 प्रतिशत राशि अदालत की रजिस्ट्री के पास तब तक जमा किया जाएगी जब तक कि अवार्ड प्राप्त राशि सुरक्षित नहीं हो जाती। अदालत ने कहा हम दूसरी लहर के दौरान जिस तरह से चीजें मालूम हुई हैं, उससे हम थोड़े दुखी हैं। वैक्सीन की कमी हर किसी को मार रही है। पीठ ने कहा आज भी दिल्ली में वैक्सीन उपलब्ध नहीं है आपके पास भारत में अच्छे उत्पादक है आपको उनका हाथ पकड़ने की जरूरत है।
अदालत ने नियमों के पालन पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि आप नियम पुस्तिका से चिपके हुए हैं जबकि आपकी नियम पुस्तिका स्वयं कहती है कि आपात स्थिति में आप कुछ भी कर सकते हैं, ऐसा करने का आपके पास अधिकार है। यदि आपने समय पर निर्णय लिया होता तो आज टीका बाजार में होता व लोगों को बीमारी से राहत मिलती।

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