कोरोना विजयी शिवराज का वैक्सीनेशन पर जोर
पिछले 2 महीने में कोरोना महामारी ने जो विकराल रूप दिखाया है उसने समस्त व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर दिया था। उस समय किसी को यह नहीं सूझ रहा था कि जनमानस के प्राण बचाने के लिए आखिर किया क्या जाए? मीडिया ने आग में घी झोंकने का काम किया तो बीमार होने वाले लोग अस्पतालों की ओर दौड़ पड़े। व्यवस्थाएं छोटी पड़ गई। ऑक्सीजन की कमी दिखाई देने लगी। मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई और चारों तरफ ऐसे दृश्य दिखाई देने लगे जो व्यवस्था को असफल सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। विपक्ष आलोचनाएं करता रहा लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी नेतृत्व क्षमता और शालीनता का परिचय देते हुए व्यवस्थाएं किस प्रकार से जुटाई जाए इसमें प्रशासन तंत्र का मार्गदर्शन प्रदान करते रहे। एक सेनानायक विषम परिस्थितियों में जैसा मार्गदर्शन कर सकता है शिवराज सिंह चौहान ने यह अनुपम उदाहरण पेश किया है।
आज जब हम वैक्सीनेशन महाभियान की तैयारियां देख रहे हैं उस समय मध्यप्रदेश में संक्रमण की दर काफी नीचे आ चुकी है और 110 संक्रमित मरीज ही पूरे मध्यप्रदेश में मिले हैं। एक चिंता जरूर है। राजधानी भोपाल संक्रमण के मामले में अन्य जिलों से अभी भी आगे हैं। यहां 21 मरीज मिले हैं और अस्पताल में भर्ती लोगों की संख्या भी अन्य जिलों से अधिक है। इसके बावजूद भी यह कहा जा सकता है कि शिवराज सिंह चौहान कोरोना विजेता के रूप में सामने आए हैं और उनके प्रबंधन का लोहा अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री सहित केंद्रीय नेतृत्व भी मान रहा है। यही कारण है कि वैक्सीनेशन का महाभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह के उपरांत योग दिवस के दिन से प्रारंभ किया गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने रणनीतिक सलाहकारों के बाद जो योजना प्रस्तुत करते हैं वह भी अपने आप में अद्भुत होती है। 7 हजार से अधिक टीका सेंटर बनाकर 1 दिन में 10 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने की पूरी तैयारी की हुई है। यह भी योजना बनी है कि वैक्सीनेशन केंद्रों पर लोगों के पहुंचने और अपनी बारी का इंतजार करने के लिए व्यवस्था की जा रही है। ताकि वैक्सीन लगाने का क्रम न टूटे और ना ही वैक्सीन खराब हो। यहां उल्लेख करने की बात यह है कि एक वाइल में 11 डेज होते हैं और प्रशासन तंत्र ने एक वाइल खुलने पर कम से कम 10 व्यक्तियों के वैक्सीन लगाने के क्रम में खड़े होने की व्यवस्था की है। 21 जून को सुबह 10 बजे वैक्सीनेशन महाभियान प्रारंभ होगा और इसके समन्वय का काम जिला कलेक्टर को सौंपा गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में वैक्सीन को महाभियान के रूप में सफल बनाने के लिए अपनी लोकप्रियता का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने इस अभियान में समस्त जनप्रतिनिधियों को शामिल किया है। सामाजिक संस्थाओं को प्रेरित करके अभियान को सफल बनाने की योजना बनाई है तथा सभी प्रकार के भ्रम निराकरण के लिए सभी धार्मिक गुरुओं को शामिल किया है। इस जबरदस्त व्यूह रचना का परिणाम यह आ सकता है कि जो लक्ष्य निर्धारित किया है उससे करीब या अधिक वैक्सीनेशन हो सकता है। शिवराज सिंह चौहान अपने मिशन की सफलता का मंत्र जानते हैं। वे सब अपनी देखरेख में करते हैं लेकिन लगता यह है कि जनभागीदारी और प्रत्येक व्यक्ति इसमें हिस्सेदार हो रहा है। यही उनका राजनीतिक गुण उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है।
मध्यप्रदेश में अभी तक 1.4 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगा है। पहला डोज 1.2 7 करोड़ लोगों को लग चुका है जो जनसंख्या का 17.45 प्रतिशत है। दोनों डोज लेने वालों की संख्या 20 लाख 44 हजार है जो जो कुल जनसंख्या का 2.78% है। देश में अभी तक 27.24 प्रतिशत वैक्सीनेशन हो चुका है जो अमेरिका की कुल आबादी का 75% से भी अधिक है। कोरोना संक्रमण को समाप्त करते हुए विजय प्राप्त करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अगला लक्ष्य प्रदेश में अधिक से अधिक वैक्सीनेशन का है। ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाएं राष्ट्रीय स्तर के लिहाज से काफी कम होती हैं इसलिए वैक्सीनेशन का अधिक केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाला है लेकिन शहरी क्षेत्रों में भी इसकी गति धीमी नहीं पड़ेगी।
विपक्षी दलों से भी इस अभियान में सहयोग की अपील की गई है और उनकी तरफ से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है। इसके बावजूद भी यह कहना होगा कि जब महामारी अपने तेवर दिखा रही थी तब सरकार व्यवस्थाओं को जुटाने और व्यवस्थाओं को संभालने में लगी हुई थी। उस समय मध्यप्रदेश का विपक्ष लाशें गिरने और कमियों की हवा बनाने के में लगा हुआ था। अभी भी उसकी भूमिका चाहे सकारात्मक होती हुई दिखाई दे रही हो फिर भी महा अभियान के आयोजन को इवेंट बताने से नहीं चूक रहे हैं। जबकि यह कोरोना के विरुद्ध शक्तिशाली सुरक्षा चक्र का आयोजन है।