‘कोरोना’ जैसे कमजोर हुआ है ऐसे ही लगेगी ‘वैक्सीन’
कम आ रही है। जिन राज्यों में पीक पार करके कोरोना को काबू करने की स्थिति बन गई वहां राहत के लिए पैकेज देने का कार्य शुरू हो गया है। अब यह माना जा रहा है कि सरकारों का प्रयास अधिक से अधिक वैक्सील लग जाये इसके प्रयास शुरू हो रहे हैं। जब केन्द्र सरकार वैक्सीन लगाने के लिए प्रयास कर रही थी विपक्षी नेताओं ने जनमानस को भ्रमित करके वैक्सीन का बड़ा स्टाक विदेशों में सहायता के लिए देने को विवश कर दिया। अब वे ही विरोधी नेता अपने राज्यों को अधिक से अधिक वैक्सीन की मांग कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में एक कांग्रेस के नेता का बयान आया है कि रोजाना एक करोड वैक्सीन प्रदेश को दी जायें। न तो उनको आर्डर देने का अधिकार है और न ही कंपनियां उनके बयान के बाद प्रदेश की आपूर्ति ही बढ़ा देंगी। ऐसा तो सरकार को या केन्द्र सरकार को करना होगा। बयान देने वाले ने यह भी नहीं देखा होगा कि प्रदेश की कुल जनसंख्या साढ़े 7 करोड़ से कुछ ही अधिक होगी। इसलिए वे प्रदेश मे एक सप्ताह में ही वैक्सीन लगवाने की मंशा रखते हैं। किसानों का कर्ज दस दिन में माफ करने का वादा करके सरकार में आये थे वह अ_ारह महीने में पूरा नहीं कर पाये वैक्सीन सात दिन में लगाने की मंशा रखते हैं। गजब है भाई!
इस प्रकार बयान अलग बात है और धरातल पर काम दूसरी बात। वे दिन सबको याद करना होंगे जब पहली लहर में जनहानि कम हुई थी क्योंकि नियंत्रण नरेन्द्र मोदी के हाथ में था। उनके सलाहकारों ने ऐसी रणनीति बनाई कि नुकसान कम हुआ। लेकिन राहुल गांधी सहित विपक्षी नेताओं ने यह दायित्व राज्यों को देने की मांग की और केन्द्र की आलोचना की थी। दूसरी लहर में राज्यों द्वारा प्रबंधन सही से नहीं किया गया और भारी जनहानि हुई। इस जनहानि के लिए जहां राज्यों के प्रबंधन को दोषी माना जा रहा है वहीं केन्द्र सरकार को भी कम दोषी नहीं माना जा सकता है। यही हाल वैक्सीन को लेकर है। विपक्षी नेताओं ने जनता में इतना भ्रम पैदा कर दिया कि उत्पादन कम करना पड़ा और विदेशों में भी वैक्सीन मुफ्त देना पड़ी। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ को धमकाया और कहा कि भ्रम पैदा करने को गंभीरता से लिया जायेगा और सख्त कार्यवाही होगी। क्योंकि इस भ्रम को दूर करने के लिए खासी मशक्कत करना पड़ी है। वैक्सीन से नपुंसक हो जायेगा? सुअर की चर्बी है? भाजपा की वैक्सीन है न जाने क्या-क्या सहा है?
अब वे ही विपक्षी नेता अधिक से अधिक वैक्सीन और जल्द वैक्सीन के नारे लगा रहे हैं। लेकिन आम जनता में विश्वास का संकट पैदा करके अब सरकार के विश्वास को आजमा रहे हैं। सच यह है कि वैक्सीन कोरोना का सबसे बड़ा सुरक्षा चक्र है। एम्स में हुए एक शोध के अनुसार जिन्होंने भी वैक्सीन का पूरा सुरक्षा चक्र याने दोनों डोज लगवा लिये हैं उनको कोरोन अधिक डैमेज नहीं करेगा मतलब मौत की संभावना से शोध में इंकार किया गया है। इसलिए वैक्सीन नया सीन क्रियेट कर सकती है। सब नेताओं की प्राथामिकता में वैक्सीन होना चाहिए। ताकि देश की जनता को सुरक्षित किया जा सके।