‘काली’ मां का भारत पर आशीर्वाद बोले ‘मोदी’
देश में धार्मिक अराजकता तो जुलुस में पथराव के समय से ही हो गई थी। उसे शान्त करने का तरीका आज भी सवालों के दायरे में है। इसका विपरीत असर यह हुआ कि उदयपुर की बर्बर घटना हो गई और महाराष्ट्र में भी आतंक दिखा दिया गया। भारत वर्ष ज्वालमुखी पर तो खड़ा है लेकिन दूसरी तरफ शान्ति दिखाई दे रही है। यह आग भडक़े इसके लिए बंगाल की राजनीति से एक शोला फैंका गया। ममता की सांसद ने उस काली मां के अपमान की घटना को संरक्षण देने का प्रयास किया गया जिसका सभी ओर से विरोध हो रहा था। कारण यह है कि भारत की राष्ट्रपति के पद पर एक आदिवासी महिला पदारोहण करने जा रही है। उसका विरोध ममता ने कर दिया अपना प्रत्याशी देकर। ऐसे में उन्हें कालीमां का अपमान करवाने में क्या गुरेज होगा। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बोलना पड़ा। नाम न लेकर प्रधानमंत्री ने पद की गरिमा को भी कायम रख लिया और देश को संदेश दे दिया कि काली मां की पूजा बंगाल में प्रधानता से होती है वहां की सरकार और वहां की सरकारी पार्टी की सांसद यदि काली मां के बारे में छिनौने विचार रखती हैं रखें लेकिन देश पर काली मां का आशीर्वाद है। प्रधानमंत्री के एक बयान ने देश की अवधारणा को सामने रख दिया।
हमेशा मानने की बात यह है किगंदगी कभी आदर्श नहीं हो सकती। यदि काली का चरित्र करने वाला कालाकार यदि सिगरेट का सेवन करता है तो उसका वीडियो बनाने की क्या जरूरत थी? मतलब यह है कि वह भावनाओं के साथ खेलना चाहते हैं। उसका समर्थन करने वाले भी भावनाओं का अनादर करना चाहते हैं। हिन्दू मान्यताओं के साथ ऐसा पहले भी होता रहा है आज भी हो रहा है। पहले और आज में अन्तर यह है कि पहले चुपचाप सहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था लेकिन आज प्रतिकार और जवाब साथ-साथ मिल जाता है।