कलेक्टर मंडला जटिया बोले उन्हें नहीं मंजूर है सीएए और एनआरसी
भोपाल। [विशेष प्रतिनिधि] अभी तक राज्य सरकारें ही यह दावा करती थीं कि वे केन्द्र सरकार द्वारा सदन में पारित कराये गये सीएए को अपने राज्य में लागू नहीं करेगी। यह संविधान का मजाक था लेकिन इसके राजनीतिक कारणों के कारण इसको सहन कर लिया जाता रहा था। लेकिन अब तो जिनके कंधे पर संविधान और कानून को लागू करने का दायित्व है वे ही इसका विरोध करने लग गये हैं। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिले मंडला के कलेक्टर जगदीश चन्दग जटिया ने ही फेसबुक पर लिख दिया कि उन्हें अपने विवेकका इस्तेमाल करना आता है और वे सीएए और एनआरसी का समर्थन नहीं करते हैं। सरकार यह देख रही है कि एक अधिकारी के फेसबुक पर लिखने को अनुशासनहीनता माना जाये या नहीं। जबकि भाजपा ने इसे अधिकारियों की संविधान विरोध हि मत बताकर कमलनाथ सरकार को चेताया है। कलेक्टर ने इसके बाद चुपी साध ली है और न तो मीडिया को जवाब दे रहे हैं और न ही सोशल मीडिया को।
यह पूरी घटना सोशल मीडिया की है। कलेक्टर की फेसबुक पर किसी मित्र ने सवाल पूछा कि जेएनयू में छात्र सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं। मारापीटी कर रहे हैं। इसमें एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को भी चोट आई है। इसकी जांच सही तरीके से होना चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुये कलेक्टर जगदीश चन्द्र जाटव ने यह सब लिखा है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी ने इस बारे में अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुये लिखा है कि इनकी हि मत तो देखो, ये संविधान से बड़े हो गये हैं। जिस कानून का राजपत्र में प्रकाशन हो गया है ये इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने मु यमंत्री कमलनाथ से पूछा है कि वे बतायें कि यह किसकी शह पर हो रहा है। यह लोक सेवा आचरण संहिता का उल्लंघन है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राजपत्र में प्रकाशित किसी भी आदेश या कानून का पालन कराने का दायित्व कलेक्टर का ही होता है और कलेक्टर इस प्रकार से अपनी भावनाओं को व्यक्त करे तब संविधान की रक्षा कौन करेगा?
प्रदेश सरकार की ओर से अभी किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है जबकि विपक्ष इसको लेकर हंगामा खड़ा कर रहा है। दो दिन बाद विधानसभा का विशेष सत्र होने जा रहा है जिसमें इस प्रकार के विषयों के उठने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।