कमलनाथ सरकार को शह देते ही भाजपा में होड़ लग गई कि ‘मुख्यमंत्री’ तो मैं ही हूं

भोपाल। [विशेष प्रतिनिधि] प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में यह पूछा जा रहा है कि अभी लोकसभा के चुनाव परिणाम आये भी नहीं हैं लेकिन कमलनाथ सरकार को शह दे दी गई। शह मात का खेल राजनीतिक रूप ले इससे पहले ही भाजपा के नेताओं में होड़ मच गई कि आखिरकार नेता तो मैं ही हूं। इसलिए मुख्यमंत्री की दावेदारी उनकी ही बनती है। हालांकि यहा हायकमान को करना है। इस सारे शोर से परेशान कमलनाथ भी हुये हैं और उन्होंने कहा कि चार बार बहुमत सिद्ध कर दिया और कर देंगे लेकिन भाजपा में बौखलाहट क्यों है?
पूरे घटनाक्रम का वर्णन करते हैं। बात शुरू होती है बंगाले के हीरो कैलाश विजयवर्गीय से। उनसे पूछा गया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि वे प्रदेश में 20-22 सीटें जीत रहे हैं। कैलाश ने कहा कि सीटे छोडिय़े यह तो बताईये कि यह सरकार 20-22 दिन चल रही है क्या? नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को लगा कि यह कहने का अधिकार तो उनका था इसलिए उन्होंने राज्यपाल महोदया को पत्र लिखकर विधानसभा का सत्र बुलाये जाने की मांग कर दी। श्रीमान भार्गव को एक टीस और भी है कि वे विपक्ष के नेता हैं लेकिन कांग्रेस कर्जमाफी के कागजात पूर्व मुख्यमंत्री के यहां भेजे जा रहे हैं। भार्गव ने अपने पत्र में सरकार को बहुमत सिद्ध करने की बात नहीं कही थी। अब बारी थी शिवराज सिंह चौहान की। उन्होंने गेंद को अपने पाले में लिया और मांग कर डाली कि सरकार को सदन में बहुमत सिद्ध करना चाहिए। सरकार विश्वास खो चुकी है। यह बात आगे निकल कर अविश्वास प्रस्ताव की ओर इशारा करती है। हालांकि यह अधिकार नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल को होता है। इतने राजनीतिक हंगामें एक ही नाम ऐसा था जो चुप था। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी आखिर अपनी चुप्पी तोड़ी और कह दिया कि उनके संपर्क में कांग्रेस के विधायक हैं। उन्होंने संख्या तो नहीं बताई लेकिन सरकार गिराने के लायक लोग उनके पास हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि भाजपा के सारे नेता एक ही विषय पर अलग-अलग क्यों बोले हैं? सभी का निशाना कमलनाथ और उनकी सरकार ही था लेकिन सभी ने अपनी उपस्थिति से यह बता दिया कि वे सरकार के मुखिया बनने को तैयार हैं। जो भी हो भाजपा में मुख्यमंत्री बनने की होड़ लग गई है। बाजी कोई मार भी पाता है या नहीं देखते हैं।
अब बात आती है मुख्यमंत्री कमलनाथ की। कांग्रेस में उनके समर्थक कह रहे हैं अभी वेकेंसी नहीं है। पांच साल के लिए कमलनाथ मुख्यमंत्री हैं। कमलनाथ ने मीडिया से बात करते हुये कह दिया कि वे चार बार सदन में बहुमत सिद्ध कर चुके हैं जरूरत पड़ेगी तो और सिद्ध कर देंगे। उन्होंने साथ में जोड़ा कि भाजपाईयों में बौखलाहट इस कारण है कि सरकार ने उनके भ्रष्टाचार की जांच कराना शुरू कर दिया है। कुछ मामलों में प्रकरण दर्ज होने की स्थिति में हैं कुछ की जांच शुरू होने वाली है। सरकार आक्रामक होकर अपनी जीवनरेखा को कुछ दिन और लम्बी करना चाहती है तो भाजपा के नेता मुख्यमंत्री बनने की मंशा में अगल-अलग दिखाई दे रहे हैं।

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