कमलनाथ के समर्थन में नहीं आए दिग्गी पचौरी अजय अरुण

  भोपाल। विशेष प्रतिनिधि

डबरा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की प्रत्याशी श्रीमती इमरती देवी पर विवादित टिप्पणी करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ संभल नहीं पा रहे हैं। एक महिला को "आइटम" शब्द से संबोधित करने का प्रायश्चित करके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ के सामने विषम परिस्थितियां पैदा कर दी। इसका राजनीतिक नुकसान व्यापक तौर पर कांग्रेस का होता दिखाई दे रहा है जबकि भाजपा इसके बाद फायदे में है। कमलनाथ की विवादित टिप्पणी के बाद कांग्रेस पक्ष को जिस तरीके से बचाव में आना था वैसा प्रयास दिखाई नहीं दे रहा। हालांकि प्रवक्ताओं की फौज कमलनाथ के बिगड़े बोल की तुलना में भाजपाइयों के बिगड़े बोल बता कर डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास कर रही है लेकिन कोई बड़ा दिग्गज नेता कमलनाथ के बचाव में खड़ा नहीं हो रहा है।

 कांग्रेस में विवादित बोलने का रिकॉर्ड पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नाम पर ही दर्ज है। वह विवादित टिप्पणी करने के बाद उसके अर्थ, भावार्थ और शब्दार्थ इस तरीके से समझाते हैं कि वह विवाद गहराई तक तो जाता है लेकिन ऊपरी सतह से मिट जाता है। लेकिन डबरा में कमलनाथ ने जिस तरीके की टिप्पणी की है वह उनके राजनीतिक कैरियर का ऐसा विवाद है जो उनके गले की फांस बन गया है। इससे पहले वे विवाद पैदा करके लाभ उठाने की स्थिति में ही रहे हैं। इसमें हम उमा भारती की उस संकल्प यात्रा के जाम सावली मंदिर में हनुमान जी को केक चढ़ाने वाले विवाद से जोड़ कर देख सकते हैं। लेकिन डबरा में महिला नेता को आइटम कहने का खामियाजा कमलनाथ को राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में उठाना पड़ रहा है। यह विवाद दिग्विजय सिंह के विवादों की तुलना में कांग्रेस के लिए ज्यादा भारी हो गया है। यहां राजनीतिक अचरज इस बात का देखा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, अजय सिंह राहुल भैया और अरुण यादव जैसे नेता एक बार भी कमलनाथ का समर्थन करने मीडिया के सामने नहीं आए। यह दूसरी बात है कि अजय सिंह राहुल भैया ने भी चुनाव प्रचार के दौरान इसी प्रकार की विवादित टिप्पणियों का सहारा लेकर मीडिया सुर्खियां पाने का प्रयास किया है।

कमलनाथ के इस विवादित बयान की गहराई और नुकसान का आंकलन इसी बात से किया जा सकता है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और गांधी परिवार के चिराग राहुल गांधी ने भी कमलनाथ के इस विवादित बोल को अमर्यादित करार दिया है। इसके बाद भी कमलनाथ के द्वारा माफी न मांगना राजनीतिक रूप से कांग्रेस पार्टी में गंभीर होता जा रहा है। एक दलित महिला के इस अपमान के बाद प्रदेशभर के दलित समाज में इसकी व्यापक प्रतिक्रिया हो रही है। इसका प्रमाण यह है कि दलित नेता और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती ने भी कमलनाथ की टिप्पणी की निंदा की और उन्हें माफी मांगने के लिए कहा है। कमलनाथ जिद पर अड़े हैं और राजनीतिक समीक्षक मान रहे हैं कि कांग्रेस के लिए ग्वालियर चंबल अंचल में पांव जमाने की जो संभावना दिख रही थी उसे कमलनाथ ने ध्वस्त कर दिया है। फिर भी कितना नुकसान हुआ है इसकी जानकारी 10 नवंबर के चुनाव परिणामों के वक्त ही पता चलेगी।

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