ऐसा जानदेश जिसका विरोध करने की हिम्मत नहीं
'मोदी मैजिक' जनता वोट और उसके बाद भी झूम उठी
भोपाल। [विशेष प्रतिनिधि] चुनाव आयोग के हिसाब से चुनाव के परिणाम आ गये। महज दो सीटों पर परिणाम की घोषणा बाकी है। एक भाजपा का प्रत्याशी आगे है और एक सीट बीजेडी आगे चल रही है। इसकी घोषणा भी हो जायेगी। मोदी की भाजपा ने अपने दम पर 303 सीटें जीती हैं जो अपने आप में इतिहास है। आज तक किसी भी सरकार ने इतनी सीटों के साथ वापसी नहीं की है। परिणाम से पहले ईवीएम का शोर था लेकिन वह परिणाम के बाद थम गया। सबको मालूम है कि जनता का जनोदेश न केवल मिल रहा है बल्कि दिख भी रहा है। मोदी का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। जिस राज्यों में विरोधी नेताओं की सरकारें हैं वहां भी लोकसभा में वह दल साफ हो गया। मध्यप्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ कुछ समय पहले कांग्रेस ने जीते थे आज वहां कांग्रेस का सांसद लालटेन लेकर टढ़ूढने में भी नहीं मिलेगा। यह सब मोदी के प्रति जनता में विश्वास है।
यह पहला चुनाव हमने देखा है जब जनता वोट डालते समय भी खुलकर बोल रही थी और जब उसी अनुरूप परिणाम आये तो वह झूम भी रही है। पूरे चुनाव में मोदी को चोर सिद्ध करने में लगे राहुल गांधी अपनी वंशानुगत सीट अमेठी भी नहीं बचा पाये। ऐसा संभव ही नहीं था कि वे हार जायें। लेकिन जनता के सामने किसकी चलती है। गुना से सिंधिया हार गये। सभीर बड़े नेताओं के बेटे और राहुल गांधी के साथ घेरा बनाकर चलने वाले सांसद सदन में नहीं होंगे इसलिए जनता ने अपना जनादेश दिया।
वास्तव में नरेन्द्र मोदी ने पांच साल के कार्यकाल में देश को एक दिशा दी। उन्होंने विकास का रास्ता तय किया। विश्व में भारत की धाक बनाई। खुद को देश का सबसे महत्वपूर्ण जननायक सिद्ध करने वाले काम किये। जातियों के बंधन को तोड़ा और धार्मिक वोट बैंक के मुकाबले अपना आधार खड़ा किया। जनता को लगा कि ईमतानदार प्रधानमंत्री उन्हें मिला है जिसमें कुछ करने का और जोखिम उठाने का दम है। खासकर पाकिस्तान को सुधारने वाला। अमेरिका की धमकी के आगे ने झुकने वाला और चीन से आंख से आंख मिलाकर देखने वाला। जनता मोदी की मूरीद होती चली गई और मोदी भटके नहीं। इसलिए जब जनता की मतदाता बनने की बारी आई तो झप्पर फाड़ कर दिया। इतना दिया कि झोली छोटी पड़ गई। साथियों के सामने न झुकने का जनादेश दिया और देश को न झुकने देने का जनादेश भी दिया है। अब बारी मोदी की है। उन्हें अपना बेहतर देना है।
जिन विषयों को देश पसंद करता है। जो उसके स्वाभिमान के लिए हैं और जो उनकी आस्था के लिए हैं उनके बारे में वह निर्णय चाहता है। अब कश्मीर आंख न दिखाये और किसी को देश से ऊपर समझने का सहास ने यह तो मतदाता चाहता ही है क्योंकि यह छप्पर फाड़कर दिया है ना इसी लिए दिया है और देकर वह झूम रहा है।