एनजीटी ने पानीपत रिफाइनरी पर लगाया 17.31 करोड़ का जुर्माना

पानीपत। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा के पानीपत में स्थित इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की रिफाइनरी की ओर से फैलाए जा रहे प्रदूषण पर सख्त रूख अपनाते हुए उस पर 17.31 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। रिफाइनरी को उक्त राशि एक माह में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) में जमा करानी होगी। 
रिफाइनरी के साथ सटे गांव सुताना के सरंपच सत्यपाल सिंह ने बताया रिफाइनरी द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण से परेशान होकर उनके गांव समेत पड़ोसी गांव ददलाना और न्यू बोहली के लोगों की शिकायत को लेकर उन्होंने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का दरवाजा खटखटाया था।  मामले की गंभीरता को देखते हुए प्राधिकरण ने जिला प्रशासन को जल्द ही इस बारे में अपनी रिपोर्ट देने को कहा। 
बाद में जिला उपायुक्त सुमेधा कटारिया, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्राधिकरण को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर प्राधिकरण ने रिफाइनरी पर 17.31 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। सरपंच ने बताया कि इस आशय का एक पत्र उन्हें भी मिला है। उन्होंने बताया कि रिफाइनरी के कारण गांव सुताना, ददलाना और न्यू बोहली गांव के लोगों का जन जीवन काफी प्रभावित है। उन्होंने आरोप लगाया कि रिफाइनरी प्रशासन के पास प्रदूषण को नियंत्रण करने और प्रदूषित पानी को बाहर आने से रोकने की सही व्यवस्था नहीं है। 
रिफाइनरी प्रदूषित पानी को ग्रामीणों क्षेत्र की हरित पट्टी में छोड़ती है, जिसके कारण हजारों पेड़-पौधे खराब हो गए। उन्होंने 2018 में न्यू बोहली व ददलाना गांव के सरपंच के साथ मिलकर गांवों की समस्या उठाते हुए पानीपत प्रशासन में रिफाइनरी की लिखित शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि रिफाइनरी से निकलने वाले प्रदूषित पानी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों का भू जल लगातार खराब हो रहा था। 
गांवों में चमड़ी और सांस से जुड़े रोग फैल रहे थे। उन्होंने बताया कि जब पानीपत प्रशासन ने रिफाइनरी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की तो तीनों ग्राम पंचायतों की ओर से रिफाइनरी प्रशासन द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण की शिकायत राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में अपील की थी।

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