उपचुनाव में तोमर के बयानों की चर्चा

भोपाल। विशेष प्रतिनिधि

मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए 28 उपचुनाव के लिए प्रचार चरम पर है। सभी राजनीतिक पार्टी के प्रमुख नेता चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंके हुए हैं। भाजपा की ओर से प्रचार की कमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथ में ही है। उनका साथ दे रहे हैं अध्यक्ष बीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, डॉ नरोत्तम मिश्रा सहित अन्य नेता भी प्रचार में लगे हैं । जबकि कांग्रेस की ओर से कमान कमलनाथ के हाथ में है अन्य नेता उनके साथ प्रचार में समर्थन कर रहे हैं। हालांकि सार्वजनिक रूप से यह फेहरिस्त छोटी है। इन चुनावों में बिगड़े बोलों को लेकर जहां चर्चा है वही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के दो बयान खासे चर्चा में हैं।

अपने अंचल में आम सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने शिवराज सरकार के स्थायित्व को लेकर मतदाताओं को समझाने की कोशिश की। यह कहा कि उपचुनाव के बाद शिवराज सिंह चौहान की सरकार को कोई खतरा नहीं है। इस बात को समझाने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर ने जो तरीका अपनाया उसको लेकर राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा है। तोमर ने कहा कि भाजपा को तो 9 सीटें मिल ही जाएंगी लेकिन क्या कांग्रेसी सभी 28 सीटें जीत सकती है क्या? इस पर यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि जब भाजपा सभी सीटें जीतने का सार्वजनिक दावा करती है और अंदर खाने में भी भाजपा के नेता 20 सीटें जीतने का दावा करते हैं। तब नरेंद्र सिंह तोमर 9 सीटों का उल्लेख करके क्या संदेश देना चाहते हैं?

एक समाचार पत्र को दिए गए साक्षात्कार में नरेंद्र सिंह तोमर ने सिंधिया को लेकर एक अजीब टिप्पणी की है। हालांकि संगठन के लिहाज से यह विवादित टिप्पणी नहीं है। फिर भी राजनीतिक गलियारों में तोमर के इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा है कि ज्योतिरादित्य को भाजपा की रीति नीति समझने में समय लगेगा और उन्हें पार्टी में स्थान बनाने में भी समय लगेगा। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अपने ही अंचल के कांग्रेस से आए इस प्रभावशाली नेता को हजम करने में तोमर को थोड़ा वक्त लग रहा है। इसलिए इस प्रकार की टिप्पणियां राजनीतिक चर्चा का केंद्र बनी हुई है। यह कहना भी सामयिक होगा कि नरेंद्र सिंह तोमर राजनीति में एक शालीन और स्थाई भाव रखने वाले नेता हैं। वे विवाद और विवादित टिप्पणियों से सदैव बचते रहे हैं। ऐसे नेता के द्वारा जब इस प्रकार की टिप्पणी की जाती है तब उसके कोई न कोई गंभीर अर्थ होते हैं।

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