उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटा या हिमस्खलन हुआ, पता लगाने चमोली पहुंचे डीआरडीओ के वैज्ञानिक

नई दिल्ली। देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ कलाचंद सैन ने कहा कि चमोली में ग्लेशियर टूटा, हिमस्खलन या भूस्खलन हुआ या फिर कोई अंदरूनी झील टूटी, इसकी जांच की जा रही है। वैज्ञानिकों की टीम वहां पहुंच चुकी है तथा अगले कुछ दिनों में इंस्टीट्यूट उपलब्ध तथ्यों के आधार पर अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेगा।
उन्होंने कहा कि आरंभिक जानकारियों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए हमने पांच वैज्ञानिकों की एक टीम रैणी गांव भेजी है। टीम सोमवार को पहुंच चुकी है तथा उसने आंकड़े एकत्र करने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में रविवार को वहां क्या हुआ, अभी हमने कोई नतीजा नहीं निकाला है। इस घटना का एक या एक से अधिक कारण भी हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जाड़े के मौसम में बर्फ सख्त रहती है, इसलिए उसके टूटने की संभावना कम रहती है, जबकि गर्मी और बरसात में बर्फ ढीली रहती है इसलिए इस तरह की आशंका ज्यादा रहती है। उन्होंने कहा कि संस्थान ग्लेशियरों पर शोध कर रहा है, लेकिन अभी भी ऊंचे ग्लेशियरों तक पहुंच मुश्किल है। गर्मियों के दौरान कई ग्लेशियरों पर वैज्ञानिक जाते हैं तथा उनकी निगरानी करते हैं।
उल्लेखनीय है कि ग्लेशियरों पर ज्यादातर सूचनाएं उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों से ही हासिल हो पाती हैं। जमीनी आंकड़ों की भारी कमी है। रविवार की घटना को लेकर उपग्रहों की तस्वीरों को भी खंगाला जा रहा है। इस बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की चंडीगढ़ स्थित स्नो एंड एवलांच स्टडी स्टेबलिसमेंट (एसएएसई) के वैज्ञानिकों की एक टीम भी चमोली पहुंची है। यह संस्थान एवलांच पर अध्ययन करता है तथा सेना के लिए कार्य करता है।

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