आइटम बोल फंसे कमलनाथ काम न आई सफाई
खेद में छेद दिखा तब बयान पर बवाल जारी
> शिवराज के दांव से चारों खाने चित्त
विशेष प्रतिनिधि
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों शब्दों की गिरावट बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। जब किसान कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुर्जर ने मुख्यमंत्री को नंगे-भूखे परिवार का बताया तब राजनीति गरमा गई थी। दो दिन बाद बात नैपथ्य में चली गई लेकिन जब वरिष्ठ नेता, कांग्रेस के अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री व विपक्ष के नेता कमलनाथ ने डबरा में विधायक के लिए आइटम शब्द इस्तेमाल करके राजनीति को मानो आग ही लगा दी। कमलनाथ खेद भी जता चुके हैं लेकिन उनके खेद में भी छेद है ऐसा मानकर विवाद को हवा दी ही जा रही है। इमरती देवी ने अजा/अजजा एकट के तहत कार्यवाही करने की जिद की हुई है। अब भाजपा के प्रत्याशी और मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी की पत्नी पर विवादित टिप्पणी करके इस गिरावट को जारी रखा। लेकिन कांग्रेस बचाव करे या बिसाहू की बात को सामने रखे इस दुविधा में कमजोर दिखाई दे रही है।
शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक दांव कमलनाथ चारों खाने चित्त होते दिखाई दे रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान ने दो घंटे का मौन रखकर उपचुनाव में कांग्रेस को मौन रखने का रास्ता निकाल लिया। जनता में उनकी बात गई और विपरीत प्रतिक्रिया आई तब रात में कमलनाथ ने खेद जताया। खेद भी ऐसा कि दंभ से भरकर जताया गया हो। इसलिए भाजपा फिर से भड़क गई। मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा खेद स्वीकार नहीं है। कमलनाथ महिलाओं का अपमान खेद जताने में भी कर रहे हैं। आइटम पर राजनीति भी जारी है और आक्रोश भी। मायावती ने जब बोला कांग्रेस की ऊपर तक बत्ती जल गई।
कांग्रेस नेताओं और प्रवक्ताओं के सामने समस्या यह है कि वे इस शब्द का बचाव क्या करें। पहला प्रयास हुआ कि भाजपा नेताओं के पुराने बयान दिखा कर बचा जाये लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। फिर आइटम के मायने बताये जाने लगे। यह संसद में उपयोग होता है कहा जा रहा है। कमलनाथ यह नहीं जानते हैं कि संसद में वे जो बोले वे बोले लेकिन समाज में इस प्रकार का शब्द महिलाओं के लिए नहीं बोला जाता है। इसलिए कांग्रेस के सभी प्रयास विफल हो गए। भाजपा ने इस बात को नवरात्रि में महिलाओं का असम्मान कराने देने की बात लोगों के गले उतार दी।
हालांकि कांग्रेस से ही बगावत करके आये भाजपा प्रत्याशी की जुबान ने नया जहर उगला है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी की दूसरी पत्नी को लेकर गंभीर टिप्पणी की है। यह भी उसी प्रकार की शर्मनाक टिप्पणी है जो कमलनाथ की थी। लेकिन बचाव में लगी कांग्रेस हमलावर नहीं हो पा रही है। प्रदेश कांग्रेस की राजनीति भी कमलनाथ का पीछा छुडवाने में सहायक नहीं हो रही है।
28 विधानसभा उपचुनावों में करारी टक्कर में विकास की बात अब आइटम पर आकर रूक गई है। मतदान से पहले हवा बनाने की स्थिति में लगी कांग्रेस व भाजपा में भाजपा आगे निकलती हुई दिखाई दे रही है। अभी नेताओं की जुबान में फिसलन भरी हुई है और शेष बचे दिनों में कौन कितना फिसलता है यह अभी देखना बाकी है। हवा का रूख भी इसी से समझ में आयेगा। लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि इस बार के 28 उपचुनाव कांग्रेस को सत्ता की राह दे सकते थे लेकिन मेनेजमेंट गुरू अपनी ही भाषा पर नियंत्रण नहीं रख पाये और अपने साथियों को भी संभाल कर नहीं रख पाये। इससे चुनाव के परिणामों की रूपरेखा तैयार होगी।